मैं भी खून के आंसू रोया हूँ,
अपनी आजादी का हक फिर से खोया हूँ,
मेरा खून भी खोला है,
के आग बना दिल शोला है,
ये सब सत्ता में बैठे लोगो की रची कहानी है,
के खून से लथ-पथ मात्रभूमि अनजानी है,
राजघाट का बापू भी उठ के रोया है,
के भारत माँ का स्वाभिमान आज हमने खोया है,
माँ-बहनों पर हाथ उठाया है,
बच्चो को घसीट-घसीट कर पिटवाया है,
ये खाकी की वहसीयत थी,
"या" केंद्र में बैठे सफ़ेद पोसो की नशिहत थी,
जो भी हो, सत्याग्रह मैदान आज सत्याग्रह समशान बन आया है||
मात्रभूमि आज फिर शर्मशार हुई,
जलियावाले बाग़ की कहानी फिर तैयार हुई,
बर्बरता की आखरी हद आज पार हुई,
इतिहास ने फिर एक काली रात दोहराई है,
ये देश चलाने वाले भ्रस्टता के अनुयायी है,
आज दिल्ली फिर से खून के आंसू रोई है,
जलियावाले बाग़ में गोरो की तानाशाही थी,
पर दिल्ली में तो काले गोरो ने बर्बरता अपनाई है,
इस लोकतंत्र की धरती पर एक काली रात फिर आई है||
अफ़सोस हुआ न दोष हुआ,
ये सिर्फ कायरता का शब्द कोष हुआ,
आतंकियों को "जी" लगाते है,
एक देश भक्त को "ठग" बताते है,
सच पूछो तो वो अपने चक्र्व्हयु में खुद ही घिरते जाते है||
ये रात का एक सन्नाटा था,
सन्नाटा था "या" चंद्र्ग्रह्र्ण का काँटा था,
सच पूछो तो कायरता थी दिल्ली में,
दिल्ली के सत्ता में बैठी "उस" बिल्ली में,
के रातो-रात कहर बरपाया है,
निहथ्थे लोगो को बेरहमी से पिटवाया है||
ये स्याही नहीं!
"महेश" तेरे खून से लिखी गवाही है,
इसका हर शब्द एक शोला बनेगा,
आजादी का गोला बनेगा,
वो हर जख्म का मोल चुकायेंगे,
माँ भारती के आंसू यू ना जाया जायेंगे,
ये सब लिखते-२ मेरी आँख से आंसू गिरते जाते,
हम इसी को अपना आजाद भारत देश बताते है||
जय हिंद ..जय माँ भारती