Tuesday, August 17, 2010

एक सैनिक



एक सैनिक
क्या खोया-क्या पाया जग में, आओ तुम्हे बतलाते हैं,
फिर इस व्याकुल मन से उस सैनिक की गाथा तुम्हे सुनाते हैं!!

घर का आँगन सुना पड़ा है,
घर चूल्हे में आग नहीं, अब धुआं खड़ा है,
हर कोने में सन्नाटा रवां है,
दो आंखे टकटकी लगाये दरवाजे पर झाके है,
के बस अब तो यादों के समंदर आँखों से बह जाते हैं,

एक सैनिक.........

राखी का प्यारा सा बंधन, बहन रहा तुम्हारी देख रही,
ऊँची चोबरी के मुंडयारी पर,बीवी आँखे टेक रही,
माँ के आंसू रुकते नहीं अब, बाप का कंधा टूट गया,
उम्मीदों के साए में अब तो ये सब आस लगाते है.....

एक सैनिक.........

घर आँगन गलियां और नुक्कड़ अब तुम्हे पुकारे है,
कब आओगे-कब लोटोगे, जर-जर मन सुने सारे है,
खाने को घर अनाज नहीं अब , महंगाई बढती जाती है,
पेड़ो के पते सुख गए अब, हवा भी महगाई लाती है,
अपनों को दूर छोड़ के वो अपना फ़र्ज़ निभाते है.....

एक सैनिक.........

चिट्टी में पढ़ हाल तुम्हारा मैंने सासों को रोक लिया,
सहिदो के इस मेले में फिर, एक नाम तुम्हारा जोड़ दिया,
के अब तो अहदे वतन की खुसबू इस चिट्टी से आती हैं,
के तुम्हारे बदन की खुसबू इस चिट्टी से आती हैं,
के मात्रभूमि का कर क़र्ज़ अदा वो स्वर्ग को जाते हैं....

एक सैनिक.........

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