Thursday, August 5, 2010

तन्हा बैठे हुए कुछ ख्याल हो आया

तन्हा बैठे हुए कुछ ख्याल हो आया,
याद किया कुछ बीते लम्हों को,
के आँखों मैं नीर उतर आया,
कलम चलने लगी यादों के साथ,
के फिर किसी का इंतज़ार हो आया!

मेरा बचपन बीता के जवानी भी चली गयी,
तेरी रहमत से सनम ये जिंदगानी भी चली गयी,
लोग अक्सर गिला करते हैं उन बातों का,
जिसमें रस्में कसमें और बेमानी भी चली गयी!!

शाम होते होते इंतजार हो आया उनका ,
याद करते-करते ये रूहानी भी चली गयी,
के दिल तो सीसा है इसको टूट जाने दे,
जो ज़ख़्म लगने थे वो परेशानी भी चली गयी!!

के रिश्तों की बात कहाँ आज हम है ख्फां
के सनम तेरे रंजों गम मैं ये कहानी भी चली गयी,
अक्ष आँखों मैं लेके याद करते है उन्हें ,
के रुठते मानते धीरे-२ ये दीवानी भी चली गयी!!!!

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