Thursday, August 5, 2010

ये जो जिन्दगी है एक पहेली है

सोचू तो क्या है ये कलम,
तिनका-२ टुकड़ा-२ जोड़कर
लिख देती है खुसी और गम,
पिरो देती है आँखों में अश्रुओं के मोती ,
बना के अपना सनम ॥

ये जो जिन्दगी है एक पहेली है,
कभी साँसों की दुश्मन कभी सहेली है ॥

साँसों का क्या ये आनी और जानी है,
आज बचपन कल की ये जवानी है,
साथ छोड़ के जाते है जब लोग दिलवाले,
बचना क्या है फिर जाने वालों की याद आनी है ॥

ये जो जिन्दगी है एक पहेली है ॥


दुनिया को छोड़ कर जाने वाले,
रोये हम और ज़माने वाले,
ये है उम्मीद के तू वापस आ जाए,
वर्ना यादों के सहारे आँखों में पानी है ॥

ये जो जिन्दगी है एक पहेली है ॥


सुना सुना है ये जहाँ अब,
के सुनी दुनिया लगे नीरस जीवन,
पल में टूटे सब रिश्ते टुटा ये मन,
एक ना एक दिन तो जिस्म से जान जुदा होनी है ॥

ये जो जिन्दगी है एक पहेली है ॥ 

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