डर लगता है हमे खामोश ही रहने
दो,
दिल के दर्द सारे गम घुट-घुट के सहने दो॥
जीस्त के सारे कच्चे धागे तोड़ दो सब,
गम-ए-जिन्दगी मे बाकी न कुछ
रहने दो॥
गलियो मे शोर है रहेगा हमारा,
हमें चीखते-तड़पते चुपचाप ही
रहने दो॥
अरे बर्बाद (बदनाम) होना था तो हुए,
के अब मेरे बर्बादीयों के किस्से
सरे आम होने दो॥
गिरते हुए अब संभलना नहीं हमे,
तन्हाइयों के बादल मेरी परछाइयो
मे रहने दो॥
रोको न अब हमें हद से गुज़र जाने
दो,
तोड़ दो सब किनारे आँसुओ को यूही बहने दो॥
के “महेश” अब हमे जीना नहीं,
छोड़ के सब कब्र मे सोने दो॥
Tu Kayro se baat na kar
ReplyDeletetu shayar hai shayri ki baat kr
zeewan ek sunder uphaar hai
dekh khusiyo se bhra ab tera sansar h
Waah waah .. Bahut khoob likha hai aapne ... Very nice
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