Monday, July 26, 2010

मैं देश बचाना चाहता हूँ,

मैं देश जगाना चाहता हूँ,
मैं देश बचाना चाहता हूँ,

राजगुरु सुखदेव भगतसिंह मिट गए वतन के लिए,
मैं उन सहिदों की याद में आंसू बहाना चाहता हूँ,
मैं आज बताना चाहता हूँ, मैं आज जताना चाहता हूँ,
मैं वीरों की याद में खुद को भुलाना चाहता हूँ,

मैं देश बचाना चाहता हूँ,........................

मैं मंदिर मस्जिद गुरद्वारे और चर्च मैं एक गीत दोहराना चाहता हूँ,
मैं आपस मैं भाई चारे का गीत सिखाना चाहता हूँ
मैं इश्वर अल्लाह वाहेगुरु इशु को एक रूप में दिखाना चाहता हूँ,
मैं जात पात भेद भाव में लिपटी संस्कृति को आज बचाना चाहता हूँ,

मैं देश बचाना चाहता हूँ..........................

पड़ गयी जो बेड़िया वक़्त से नन्हे पैरो में,
मैं उन नन्हे पैरो को जन्नत पे चलाना चाहता हूँ,
मैं अपने देश को जन्नत बनाना चाहता हूँ,
उन्नति के मार्ग पे चलकर हम जीते होंसले,
मैं अपने देश को उन्नत बनाना चाहता हूँ,

मैं देश बचाना चाहता हूँ..........................

बैर और द्वेष से मिट गए थे जो निशाँ,
आँधियों की सेज पे लुट गए थे जो जहां,
आज मैं उन वादियों में प्यार जगाना चाहता हूँ,
मैं देश बचाना चाहता हूँ.....................

भूल चुके हैं जो अपनी संस्कृति को,
वो याद दिलाना चाहता हूँ,
मैं फिर से गीता ज्ञान दोहराना चाहता हूँ,
नफरत की आंधी मैं झुलसी हुई,
इंसानियत को आज जगाना चाहता हूँ,
मैं एक इंसान को इंसान बनाना चाहता हूँ,

मैं देश बचाना चाहता हूँ................................

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