वो
यू गए जैसे शब्दो के नाम,
आँखों
मे छोड़ गए एक शाम,
एक
तन्हा भीगी शाम ॥
वफा के सारे लेखापत्र फट गए,
दीवानगी के सारे रंग सूरज की किरणों
से छट गए,
धडकनों को अब कैसे मिले आराम ॥
वो
यू गए जैसे........
कटीले शूल है अब राहों मे,
के चुभ रहे है हर “गाम” मेरे पाओं मे,
के हो गए हम फिर से बदनाम ॥
वो
यू गए जैसे........
हवाओं ने अपना रुख मोड दिया,
हर डगर ने पीछे छोड़ दिया,
गगन भी समेट ले गया आँचल मे अपने शाम
॥
वो
यू गए जैसे........
हर रात तेरी याद मे मचलती रही,
शमा हर “बाम” पे जलती रही,
मगर फिर भी “महेश” तू हो गया नाकाम
॥
वो
यू गए जैसे शब्दो के नाम,
आँखों
मे छोड़ गए एक शाम,
एक
तन्हा भीगी शाम ॥
गाम – कदम
बाम – छज्जा
Tanha bheegi sham ko sawaar le
ReplyDeletetu phir se koi zaam utha..
phir se koi naam le..
kise k zane se zindagi rukti nhi
chupi hui lakeere har kise ko dikhati nahi
Thanks dear ... Very nice comment
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